नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।। नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।।
जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है । जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है ।
जो हौसलों से उड़ान भरते हैं वे गिर कर उठा करते हैं. जो हौसलों से उड़ान भरते हैं वे गिर कर उठा करते हैं.
मैं रोशनी का सलार हूँ । मैं रोशनी का सलार हूँ ।
मैं भी चट्टान का जो बेटा हूँ...! मैं भी चट्टान का जो बेटा हूँ...!
माँ के खो जाने का ग़म.................... माँ के खो जाने का ग़म....................